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भगवान के जन्म और कर्म दिव्य होते हैं – धर्मवीर

भगवान के जन्म और कर्म दिव्य होते हैं – धर्मवीर
बंजारी माई, मोहगांव में चल रहे श्रीमद्भागवत महोत्सव में श्रीमद् भागवत कथा में श्रीकृष्ण जन्मोत्सव अत्यंत हर्षोल्लास से मनाया गया| इस अवसर पर व्यासपीठ से धर्मवीर अजित तिवारी ने कहा धर्म के स्थापना और सारे जगत का मंगल करने के लिए भगवान को अवतार लेना पड़ता है, भगवान के जन्म और कर्म दिव्य होते हैं और जो इनके दिव्य कर्मों को जानता है उसका पुनर्जन्म नहीं हो सकता, वह आवागमन के चक्र से मुक्त हो जाता है | विश्वात्मा भगवान भक्तों को आश्रय देने के लिए अंश भाग से वसुदेव के मन में आए और जब भगवान वासुदेव की मन में आए तत्पुरुष धारण करने के कारण वसुदेव का मुख्य मंडल इतना तेजस्वी हो गया कोई उनकी तरफ देख नहीं सकता | जगत का मंगल करने वाले को वसुदेव जी के द्वारा देवकी ने अपने मन में धारण कर लिया अर्थात दीक्षा कर्म से भगवान वासुदेव के मन से देवकी के मन में गये| धर्मवीर ने संबोधित करते हुये कहा भगवान की कृपा से ज्ञान पैदा होता है, ज्ञान पैदा होने पर उदारता स्वयं आ जाती है | यश दोगे तो यश मिलेगा दुनिया में लोग यश लेना जानते हैं, उन्हें भगवान यश नहीं देता| पर जो दूसरों को यश देते हैं, उन्हें यशोदा कहते हैं और इसलिए नंद नंदन उनके आंगन में आते हैं | सबको आनंद दीजिए| सबको आनंद देते हैं नंद बाबा जिनकी गोद में कन्हैया खेलते हैं वसुदेव का अर्थ है धन देने वाला देवकी का अर्थ है देव को देने वाला देने वालों के आंगन में गोपाल क्रीड़ा करते हैं | भगवान प्रकट की उदार हृदय वालों के पास होते हैं सारी की सारी नदियां बहुत दातार हैं सब मिलकर सागर को पानी देती है सागर और भी दातार है जो बादलों को पानी देता है| बादल और भी दातार है वर्षा के रूप में सर्वत्र भूमि पर पानी बरसा देते हैं| दातार बनिए| इसी कीर्तिदा अर्थात् जो कीर्ति दे उनके राधा रानी आंगन में खेलती हैं| मोह हगांव, गोबरवेली के ग्रामवासियों के बंजारी मांई में श्रीमद् भागवत कथा दिनांक 25 फरवरी से 5 मार्च तक आयोजित है| आज भगवान के जन्मोत्सव में भक्तों का उत्साह से भक्ति का नवसंचार हुआ|

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