
यज्ञ कार्य केवल सामर्थ से नहीं ,भगवती की करुणा और इच्छाशक्ति से होता है :- स्वामी श्री प्रज्ञानानंद
सिवनी, 25 मार्च 2023,
सिवनी यशोः- अहंकार और ममता के बंधन से बंधा जीव, संसार में बार-बार जन्म मरण चक्र में घूमता है !भगवती की कृपा से ही भक्त और भगवान का मिलन होता है! भगवती ही हमारे मन में इच्छा, ज्ञान ,तथा क्रिया शक्ति उत्पन्न करती है! सत्संग का महत्व स्वर्ग के सुख से भी ज्यादा है! जिसके लिए देवता ने भी लालायित रहते हैं!
उक्त आशय के प्रेरक प्रवचन- *पूज्य आचार्य महामंडलेश्वर दंडी स्वामी श्री प्रज्ञानानंद सरस्वती* जी महाराज के मुखारविंद से आज *श्री शक्ति महायज्ञ के चौथे दिन* यज्ञ भूमि मठ मंदिर सिवनी की धर्म सभा में प्रवाहित हुए! प्रवचन पंडाल में सैकड़ों की संख्या में उपस्थित धर्म प्रेमी जनमेदिनी एवं यज्ञ के यजमान गणों तथा जनप्रतिनिधियों को संबोधित करते हुए स्वामी श्री ने अपने प्रवचन में कहा कि ,ममता और अहम से बंधा जीव, संसार में बार-बार जन्म मृत्यु चक्र में घूमता है!
संसार चक्र से मुक्त होने के लिए भगवती की प्रेरणा से हमारे मन में, इच्छा शक्ति, ज्ञान शक्ति, और क्रिया शक्ति, जागृत होती है !प्रेम, करुणा, ममता, वात्सल्य ,माता का प्रधान स्वभाव है!
स्वामी श्री ने कहा कि, ज्ञान सत्संग से प्राप्त होता है! तथा सत्संग की महिमा स्वर्ग के सुख से भी अधिक महत्वपूर्ण है! भगवती की कृपा से महायज्ञ आयोजन का निमित्त पात्र व्यक्ति बनता है!
यज्ञ कार्य में तन मन धन किसी भी रूप में लगा हुआ व्यक्ति का कार्य यज्ञ कर्म होता है!
अनंतकोटि ब्रह्माण्ड जननी- *श्री माता त्रिपुर सुंदरी के प्राकट्य* का वृतांत सुनाते हुए स्वामी श्री ने कहां की त्रिपुर सुंदरी की आराधना ही *श्री विद्या*! है जगत जननी त्रिपुर सुंदरी की आराधना से माता लक्ष्मी *महालक्ष्मी* के रूप में प्रतिष्ठित हुई है !
श्री शक्ति महायज्ञ को रचने और कराने वाली श्री माता भगवती ही है!
पूज्य आचार्य महामंडलेश्वर ने इस महायज्ञ की भूमिका का उल्लेख करते हुए कहा कि, हमें धर्म नगरी सिवनी के श्रद्धालुओं ने चैत्र नवरात्र व्रत अनुष्ठान सिवनी में करने का आग्रह किया था! भगवती एवं पूज्य गुरुदेव *ब्रह्मलीन जगतगुरु शंकराचार्य महाराज श्री* की प्रेरणा और आशीर्वाद से हमने इच्छा व्यक्त किया कि केवल नवरात्र अनुष्ठान ही नहीं, बल्कि इसके साथ श्री शक्ति महायज्ञ का आयोजन भी हो, जिसमें सिवनी जिले का सामान्य से सामान्य व्यक्ति भी पुण्य लाभार्जन में सहभागी हो !परिणाम स्वरूप श्री शक्ति महायज्ञ मैं सैकड़ों श्रद्धालु नर नारी पुण्य लाभ अर्जित कर रहे हैं!
स्वामी श्री के प्रवचन के पूर्व विद्वान आचार्य पंडित सनत कुमार उपाध्याय* जी ने भूमिका बनाते हुए कहा कि, श्रीमद भगवत गीता में भगवान श्री कृष्ण ने कहा है कि, किसी भी कार्य की सफलता के लिए पांच हेतु क्रमश:-उचित स्थान, पात्र कर्ता ,
साधन, उचित प्रयोग, तथा ईश्वर इच्छा ,होते हैं! द्विपीठाधीश्वर ब्रह्मलीन जगतगुरु शंकराचार्य की प्राकट्य भूमि सिवनी में महायज्ञ की सफलता हेतु उक्त पांचो बातें अनुकूल है! आत: अधिक से अधिक श्रद्धालुओ को इस यज्ञ कार्य में शामिल होकर- धर्म, यश, ज्ञान ,तथा धन वृद्धि ,का पुण्य लाभ अर्जित करना चाहिए