विचार

8 मार्च महिला दिवस पर विशेष

8 मार्च महिला दिवस पर विशे
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जहा नारी को दुर्गा, सरस्वती , काली माँ के रूप में पूजा जाता हैं, जहाँ लाखो लोग पहाड़ चढ़ते उतरते माँ की जय कहते हैं वही एक माँ का बलात्कार करके जिन्दा जला दिया जाता हैं, पूछने चार आदमी नहीँ आते, ऐसे देश में मैंने जन्म लिया, ये देखकर मुझे लज्जा आती हैं।
अपनी आँखों के सामने जुल्म होते देख कर भी खामोश बैठे अपने भाइयों की नपुंसकता पर मुझे लज्जा आती हैं।
अपनी बहनों की लाचारी पर मुझे लज्जा आती हैं।
आज भी कई गाँवो में लड़की के पैदा होते ही उसका गला घोंटकर मार दिया जाता हैं, कई कुंवारी लडकिया दहेज़ के डर के मारे आत्म हत्या कर लेती हैं, तो कइयों को शादी के बाद जला दिया जाता हैं, लड़की के होश सँभालने से पहले ही उसकी शादी करा देते हैं, जैसे की वो बोझ हो।
जिस औरत को बच्चा पैदा न हो, उसे बाँझ कहकर ठुकरा देते हैं, क्या औरत केवल एक बच्चा पैदा करने की मशीन हैं। उसका अपना अस्तित्व नहीँ हैं, अपनी कोई पहचान नहीँ।
धर्म के नाम पर हल्ला करने वाले इन बुराईयो के खिलाफ अब आवाज क्यों नही उठाते।
इस समाज में सच बोलने वाले को पागल और चुप रहने वाले को समझदार कहते हैं, वहाँ सच कौन बोलेगा।
ये वही देश हैं जहाँ रावण के हाथों से सुरक्षित लौटी सीता को अग्नि परीक्षा देनी पड़ी। उस सीता से लेकर मैथिलि, जानकी, रामदुलारी न जाने कितनी सीतायें न जाने किस-किस आग में जल रही हैं और आगे भी जलती रहेंगी, क्योंकि अब हमें लज्जा नही आती। हमारी लाज, शर्म, इंसानियत सब ख़त्म हो चुकी हैं।
ये बहुत बड़ी सच्चाई है इस देश की यहाँ पुरुष कई-कई दिन घर से बाहर गुजार दे, कोई प्रश्न पूछने वाला नही, लेकिन कोई स्त्री के संबंध में पूरा समाज प्रश्न चिन्ह खड़ा कर देता हैं।
आज वर्तमान परिवेश में सिर्फ अंतर राष्ट्रीय महिला दिवस कार्यक्रम सिर्फ आयोजित किये जा रहे हैं जबकि वास्तविकता कुछ और है। महिलाओं की स्थिति आज भी दयनीय हैं।
संकलन
अनुराग अग्रवाल
Astrologer, Numerologist & Vastu Expert
जय श्रीकृष्णा

Dainikyashonnati

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