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आदि-अनादि और अनंत भगवान विष्णु ही है – स्वामी प्रज्ञानानंद

आदि-अनादि और अनंत भगवान विष्णु ही है – स्वामी प्रज्ञानानंद

सिवनी 25 जून 2023
सिवनी यशो:- आदि-अनादि और अनंत भगवान विष्णु ही है। शीतलता प्रदान करने वाली मां ही है और दुरविचारों पर हाथ भी उठाती है। अधर्म अंधा बना देता है जबकि धर्म दृष्टि देता है। यह उद्गार व्यासपीठ से आज श्रीमद भागवत कथा महापुराण के तीसरे दिन आचार्य महामण्डलेश्वर स्वामी प्रज्ञानानंद सरस्वती जी महाराज ने भागवत कथा महापुराण की पवित्र कथा की रसधार का प्रवाह करते हुये व्यक्त किये ।
स्वामी प्रज्ञानानंद सरस्वती जी महाराज ने कहा कि जब मनुष्य को बेचैनी होती है और उसे परेशानी का अनुभव होता है तो वह मां की गोद में सिर रखकर लेट जाता है इससे उसे शीतलता मिलती है और उसे ऐसा लगता है जैसे उसका मन और सिर हल्का हो गया। आपने आज इस कथा पुराण को भागवत मां का नाम देते हुए कहा कि आत्मा ही मां है और परमात्मा ही मां है। मनुष्य के मन में जब दुरविचार आते हैं तो वह उसे लाड़ करने की बजाय उसके ऊपर हाथ उठाती है ताकि वह सत्मार्ग में चले इसलिए तो वो जननी है।
स्वामी जी ने कहा कि विष्णु के अनेक नाम है। इनमें से एक आदि भी है और अनादि भी है। वही अनंत है। ईश्वर के पहले ना कुछ है ना मध्य में है और ना ही अंत में है। संसार है तब भी ईश्वर है और संसार के ना रहने के बाद भी ईश्वर रहेगा। इस संसार को ठोस बनाने के लिए माया का मिश्रण कर दिया गया है क्योंकि यदि संसार में माया नहीं होगी तो लोग वैराग्य को धारण कर लेगे और ऐसा यदि होगा तो संसार का संचालन बंद हो जायेगा। मनुष्य जन्म लेते ही सांसारिक मोह में लिप्त होने लगता है। उसे मकान, दुकान, परिजन की चिंता सताने लगती है और यही चिंता उसे संसार से बांधे रखती है। आपने कहा कि मनुष्य को अधर्म अंधा बना देता है जबकि धर्म दृष्टि देता है। कौरवो में अधर्म था इसलिए उन्हें अंधा बना दिया था जबकि पाण्डव धर्म के मार्ग पर चल रहे थे इसलिए उन्हें दृष्टि मिली और अर्जुन को इसी दृष्टि से ईश्वर का दर्शन हुआ। संत और भागवत यानि भगवान दोनों ही दृष्टि देने वाले होते हैं। संत मनुष्य को सत्मार्ग में चलाता है और ईश्वर भी धर्म के मार्ग में चलने वालों को दृष्टि देता है।

कांचीकाम कोठी के शंकराचार्य जी का मिला आर्शीवाद

आपने कहा कि आज बड़ा सौभाग्य का क्षण है जब कांचीकाम कोठी के शंकराचार्य आयोजन स्थल पर उपस्थित हुए। आपने कहा कि आज जो लोग भी यहां उपस्थित है उन सबको कथा के फल के स्वरूप चंद्रमौलेश्वर भगवान के रूप में कांचीकाम कोठी के शंकराचार्य का दर्शन हो रहा है। आपने कहा कि किसी संत को आमंत्रित कर व्यवस्था बनाकर बुलाना भाग्य की बात होती है जबकि कोई संत बिना बुलाये, बिना व्यवस्था के उनके यहां पहुंच जाये तो वह सौभाग्य का विषय होता है और यही सौभाग्य आज इस आयोजन स्थल पर हम सबको प्राप्त हुआ है कि कांचीकाम कोठी के शंकराचार्य यहां पहुंचे और उन्होंने उपस्थितजनो को अपना आर्शीवाद प्रदान किया।
धार्मिक भारत का निर्माण होना चाहिए

जो साश्वत आनंद है वहीं प्रज्ञानानंद है – शंकराचार्य विजेंद्र सरस्वती

सिवनी। कांचीकाम कोठी के शंकराचार्य विजेंद्र सरस्वती जी महाराज ने चल रही भागवत पुराण स्थल पर पहुंच गये और उन्होंने उपस्थितजनों को अपना आर्शीवाद प्रदान किया।
आपने अपना आर्शीवचन प्रदान करते हुए कहा कि जो साश्वत आनंद है वही प्रज्ञानानंद है और यह आपको देखने को मिलता भी होगा। आपने कहा कि भारत के निर्माण के लिए सरकारें विकास कार्य तो कर रही हैं लेकिन धार्मिक भारत का निर्माण भी करना होगा। इसीलिए संत लगातार प्रयास कर रहे हैं लेकिन सरकारों को भी इसके लिए आगे आना चाहिए। आपने कहा कि महात्मा गांधी बोलते थे कि ग्राम में अच्छा राज्य होगा तो पूरे भारत में स्वत: ही रामराज्य हो जायेगा इसलिए गांवो में अच्छे पुरोहित की आवश्यकता है जो रामराज्य स्थापित करने में मदद करे। आपने दो पीठ के ब्रम्हलीन शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी महाराज का स्मरण करते हुए कहा कि जब वे बैंगलुर के अस्पताल में भर्ती थे तब हम चंद्रमौलेश्वर भगवान का चंदन लेकर उनके पास पहुंचे थे। उस समय भी वे अस्वस्थता के बावजूद गौमाता की रक्षा के लिए और उसकी सेवा के लिए गौशाला निर्माण की भी चर्चा कर रहे थे। उनका कहना था कि सड़क मार्ग पर ही गौशाला बनना चाहिए ताकि लोग उसे देखकर गौमाता के प्रति आकर्षित हों। ज्ञात हो कि शंकराचार्य विजेन्द्र सरस्वती जी महाराज आज नागपुर से काशी की ओर जा रहे थे।

सरकार सड़क बनाती है, लेकिन संत अध्यात्म का मार्ग बनाते हैं

सिवनी। आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी प्रज्ञानानंद सरस्वती जी महाराज के मुखारबिंद से चल रही श्रीमद्भागवत कथा में कांची कामकोटी पीठ के शंकराचार्य स्वामी विजयेंद्र सरस्वती जी महाराज पधारे। कथा पंडाल में भक्त मंडल को आशीर्वचन देते हुए शंकराचार्य जी ने कहा कि, दूर ग्राम अंचल में आध्यात्मिक प्रवचन एवं धार्मिक जागृति की बहुत आवश्यकता है। स्वामी प्रज्ञानानंद जी महाराज वही कार्य कर रहे हैं। उन्होंने स्मरण किया अपने पूज्य गुरुदेव स्वामी जयेंद्र सरस्वती जी महाराज को और कहा कि हमारे गुरुदेव का एवं स्वामी जी का बहुत गहरा संबंध रहा है।
श्रीमद् भागवत कथा में आज कांची कमाकोटी पीठ के शंकराचार्य जी का आगमन हुआ। श्री शंकराचार्य जी के पादुका का पूजन हुआ। चंद्रमौलेश्वर भगवान का भी पूजन हुआ एवं जनमानस को आपने धार्मिक जागृति के लिए प्रेरित किया, क्योंकि धर्म ही जीवन जीने का मार्ग बनाता है, सरकार भी मार्ग बनाती है, वह लौकिक है और संत अध्यात्म का मार्ग बनाते है, वह अलौकिक है। श्रीमद् भागवत कथा में आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी प्रज्ञानानंद सरस्वती जी महाराज के द्वारा श्रीमद्भागवत मात्र सूत्र कथा में श्रीमद्भागवत को मां का स्वरूप बताया। मां भगवती की आठ भुजाएं हैं जो भागवत की तरह जीवन सूत्र प्रदान करते हैं। धर्म धन सत्य सन्मार्ग क्षमा दया दान पवित्रता धैर्य और करुणा यह सब श्रीमद्भागवत रूपी मां के द्वारा प्राप्त होता है। धर्म का स्वरूप क्या होना चाहिए एवं सत्यम परम धीमहि जैसे जीवन सूत्र हमें भागवत प्रदान करती है।

Dainikyashonnati

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