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6 वर्षीय बालक में पर्यावरण प्रेम अद्भुत, फलो से जैव इंजाइम बैच बनाता है

सिवनी यशो:- नेताजी सुभाष चंद्र बोस शासकीय कन्या महाविद्यालय सिवनी में कार्यरत राष्ट्रीय सेवा योजना एवं इको क्लब प्रभारी डॉ. रूचिका यदु के 6 वर्षीय बालक किआन लांबा ने ग्रीष्मकालीन अवकाश बीजों से फलीय वृक्ष जैसे आम, संतरा, नींबू, जामुन, मुनगा, लीची, चीकू अंगूर इत्यादि पौधें उगाए हैं। उनकी मां ने बताया हमने पिछले साल से बीज इक_ा करना शुरू किया लेकिन हम उनमें से अधिकांश को अंकुरित करने में बुरी तरह विफल रहे। इसलिए इस साल हमने थोड़ा शोध किया और पूर्व अंकुरण बारे में सीखा तत्पश्चात इन बीजों का रोपण किया गया।
किआन ने लिए कुछ पौधे रखने के बाद उन्हें अपने शिक्षकों को उपहार देने की योजना बनाई है। इस साल की तरह हम कुछ पौधे पास के मंदिर में भी लगाएंगे। उनकी मां ने बताया कि किआन की इको यात्रा लॉकडाउन के दौरान शुरू हुई जब उन्होंने गर्मी के कारण एक पक्षी को बेहोश देखा और तब से उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। हम अपने घर में गीला कचरा नहीं फेंक सकते हैं और अगर आप गलती से ऐसा करते हैं तो आपको इसे बिन से वापस लेना होगा….क्योंकि सब कुछ खाद बनाने के लिए जाता है…( किआन हर समय नजर रखते हैं) . वह फलों की पार्टी के बाद अपनी स्कूल वैन से फल के छिलके इक_ा करता है और ले आता है, कोई और उन्हें नहीं ले जा सकता एक दिन वार्तालाप करते हुए मां ने पूछा हम इतने फलों के बीज लगा रहे हैं, फल नहीं लगे तो क्या हुआ? कियान का जवाब था कोई बात नहीं मम्मा, कम से कम छाया तो देंगे।
सौभाग्य से कियान के मन में भी पर्यावरण के प्रति करुणाभाव है। हमने खट्टे फलों और केले के छिलकों से जैव-एंजाइमों के बैच बनाना शुरू किया ताकि जैव उर्वरक के रूप में उपयोग किया जा सके और जैव कीटनाशकों के बारे में भी सीखा और कुछ के साथ प्रयोग भी किया। वह गायों, कुत्तों, पक्षियों और चींटियों को भी खिलाता है। प्रतिवर्ष गर्मियों में घर के आस-पास तथा मंदिर प्रांगण में पक्षियों के लिए दाना एवं जल की व्यवस्था करते हुए सकोरे बांधता है।
डॉ. रुचिका यदु ने कहा आइए हम सभी इस ग्रह के लिए अपना छोटा सा कदम उठाएं, विशेष रूप से अपने बच्चों में सहानुभूति पैदा करें

Dainikyashonnati

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