
5000 से ज्यादा वोटों से हारने के बाद दो परिषद व जनपद व जिला पंचायत चुनावों में हार का सामना कर चुके कांग्रेस कार्यकर्ता को क्या अब रजनीश सिंह का नेतृत्व रास नहीं आ रहा??
रजनीश सिंह पसंद के बने ब्लॉक कांग्रेस कमेटी की अध्यक्ष के प्रति कार्यकर्ता काम करने में नही बैठा पा रहे तालमेल
स्वप्निल उपाध्याय केवलारी
केवलारी यशो:- विधानसभा चुनाव जैसे जैसे नजदीक आ रहे है चुनावी समीकरण सामने आने लगे है । जिले की केवलारी विधानसभा भाजपा और कांग्रेस के लिये अब प्रतिष्ठा की सीट हो गयी है । यह विधानसभा कांग्रेस का अभेद गढ़ रहा है परंतु पिछले चुनाव में भाजपा के राकेश पाल सिंह ने कांग्रेस के रजनीश सिंह से यह सीट छीनकर भाजपा की झोली में डालने में कामयाबी हासिल की । कांग्रेस अपनी इस परंपरागत सीट पर तब हारी जब प्रदेश में भाजपा विरोधी लहर थी और प्रदेश में कांग्रेस की सरकार भी बनी ऐसे समय में कांग्रेस का इस विधानसभा में हारना कांग्रेस के लिये काफी अफसोसजनक रहा ।
विधानसभा चुनाव 2018 के समय केवलारी विधानसभा में कांग्रेस मजबूती के साथ खड़ी थी और भाजपा में निराशा थी परंतु 2023 के आगामी विधानसभा के लिये भाजपा मजबूती के साथ खड़ी है और संगठानात्मक दृष्टि से भाजपा ने बूथ स्तर तक इतनी बढिय़ा कसावट की है कि भाजपा के बूथ स्तर के कार्यकत्र्ता भी जिम्मेदारी सिपाही की तरह भाजपा के लिये काम करने के लिये जुटने की मानसिकता बना चुके है जबकि कांग्रेस का इस विधानसभा में संगठन भी गुटीय राजनीति का शिकार हो गया है और ठाकुर रजनीश सिंह की स्वीकार्यता भी वैसी नहीं है जो कांग्रेस को जिताने में सहायक सिद्ध हो सके । वहीं भाजपा के विधायक राकेश पाल सिंह लगातार केवलारी विधानसभा में सक्रियता बनाकर आम जनों से आत्मीय संबंध बनाने में निरंतर जुटे हुये है वहीं भाजपा के संगठन की निरंतर सक्रियता ने भाजपा को यहाँ मजबूती प्रदान की है ।
इसके विपरीत कांग्रेस के पूर्व विधायक ठाकुर रजनीश सिंह ने चुनाव हारने के बाद केवलारी क्षेत्र से संपर्क में कोताही बरतने के साथ ही आम जनता की समस्याओं से मुंह मोड़ लिया और संगठन की निष्क्रियता से कांग्रेस यहाँ गुटो में विभाजित होने के साथ ही भाजपा के संपर्क और संबंधो में लपट गयी है ।
केवलारी विधानसभा में सर्वे करने के लिये आमजनता के बीच जाने वाले स्वप्रिल उपाध्याया के अनुसार विस चुनाव 2018 के परिणामों में कांग्रेस प्रत्याशी रजनीश 6,679 वोट से हार का सामना करना पड़ा था,हार की वजह कार्यकर्ता की उपेक्षा माना जा रहा था वही स्तिथि भी अभी फिर बन चुकी है केवलारी विस में कांग्रेस की गुट में इतनी बट चुकी है की अब उसको एकजुट कर पाना बर्फीले पहाड़ों में चढऩे जैसा मुश्किल हो गया है,
बीते कई महीनों से कांग्रेस के कार्यक्रम व आंदोलनों में कांग्रेस कई गुटो में बटी नजर आ रही है, वही रजनीश के नेतृत्व में कई वरिष्ठ पदाधिकारियों में नाराजगी भी देखने को मिल रही है, विस में सैकड़ों ऐसे कार्यकर्ता है जिन्होंने पार्टी से अपने आप को दूर कर लिए कई वर्षो से सत्ता में न रहना इसकी बड़ी वजह तो मानी जा रही लेकिन इसी के साथ साथ जो सम्मान की अपेक्षा वरिष्ठजन कांग्रेस से करते आ रहे थे उन्हें सिर्फ घर में बैठाने का काम विस 116 की सभी ब्लॉकों कांग्रेस कमेटी के नेतृत्वकर्ताओं ने की ऐसी बातें सामने निकलकर आ रही, जो की कांग्रेस की आगामी चुनावों के लिए दुखदायक समझ में आ रही है, खैर मनोबल टूटना भी स्वाभाविक है दो नगर परिषद,जनपद और जिला जैसे चुनावों में हार का सामना रजनीश सिंह के निरंकुश नेतृत्व के कारण एकजुट करने में असक्षम होने के कारण 2018 में भी 6,679 वोट हार का सामना कांग्रेस को करना पड़ा है, इसलिए दबे ही स्वर में ही क्यों न अपने जिले और प्रदेश नेतृत्व से विस प्रत्याशी बदलने के लिए बातें जोर पकडऩे लगी है, हाल ही में विरोध प्रदर्शन जब कांग्रेस वर्तमान सरकार के खिलाफ कांग्रेस अपने विस मुख्यालय में करती है तो कांग्रेस के बड़े जिम्मेदार पदाधिकारी इस आंदोलन से खुद को दूर रखे ऐसा क्या कारण था की जब कांग्रेस के प्रदेश यूथ अध्यक्ष आते है तो दो संख्या में ही युवा जुट पाते है मतलब सीधा सीधा यही निकला जा रहा की बीते 5 साल में रजनीश सिंह की राजनीति में ग्रहण उन्ही के कार्यकर्ता लगाते नजर इस विस चुनाव में आयेंगे, वही दूसरी ओर नए उम्मीदवार की खोज में निकल चुकी बटी कांग्रेस का एक गुट केवलारी विस के लिए कई और नाम को केवलारी विस से लड़वाने का मन अंदर ही अंदर बना चुका है,खबर तो यह भी है की कांग्रेस के अंदर ही ऐसे कुछ विद्वत कार्यकर्ता है जो अपनी पार्टी के नेतृत्व तक ये बात पहुंचा भी दिए है अब ये कांग्रेस के अंदर ही अंदर जो खिचड़ी बन रही है इसमें कितनी प्रमार्णिकता छिपी हुई है, ऐसे कई नाम पर इसबार सामने आ रहे है जो कि आने वाले समय में इस विधानसभा में कांग्रेस की चिंता को दुगनी बढ़ाने वाला है ये तो भविष्य की गर्त में छिपा हुआ है जिसकी आहत कांग्रेस के व्यवहार में प्रकट अभी से होना शुरू हो गई है।