
मुफ्त बाँटने की मानसिकता, पीढिय़ाँ भोगेंगी दंश
संपादक के विचार
26 मई 2023
इस प्रकार की मुफ्त की योजनाओं से बेहतर होता इस मातृ शक्ति की कुशल क्षमताओं का विकास कर उन्हें रोजगार के क्षेत्र में प्रोत्साहित किया जाये । आर्थिक समृद्धि के लिये किसानों को बेहतर सुविधाएँ प्रदान की जाये। अच्छी शिक्षा के लिये बेहतर विद्यालय बनाये जाये। बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएँ प्रदान की जाये। विकास और आर्थिक समृद्धि कभी भी मुफ्त की योजनाओं एवं दीनता के प्रदर्शन से नहीं आ सकती एक स्वाभिमानी देश और प्रदेश के निर्माण के लिये समाज के हर वर्ग की क्षमताओं, उनकी कुशलता का मूल्य उन्हें प्रदान किया जाये मुफ्त की योजनाएँ एक निकम्मे समाज और दीनता का भद्दा चित्रण प्रस्तुत करता है ।
प्रदेश में आगामी कुछ माह में विधानसभा चुनाव होने वाले है सभी राजनैतिक दलों की चुनावी आक्रमकता दिखाई दे रही है, चुनावी रण के लिये कार्यकत्र्ताओं की फौज और फौज को जनता को अपने पक्ष में करने के लिये प्रलोभन और झूठ परोसने वाली सामग्री पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध कराई जा रही है । एक लोकतांत्रिक देश के लिये सबसे बड़ी अदालत होती है जनादेश और इस जनादेश को प्राप्त करने के लिये सत्ता प्राप्त करने के लिये ही सबसे अधिक झूठ बोलने की प्रवृति दिनों दिन बढ़ते जा रही है । मुफ्त बांटने की प्रवृति तेजी से बढ़ रही है और यह मुफ्त बांटने वाली प्रवृति देश को सर्वाधिक नुकसान पहुँचाने वाली साबित होगी । यह प्रवृति देश के लिये कितनी घातक हो सकती है इसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती । किसी भी देश और समाज की सबसे बड़ी ताकत होती है श्रम शक्ति एक श्रेष्ठ समाज और गौरवशाली राष्ट्र के निर्माण के लिये आवश्यक है श्रमशक्ति का अधिकतम उपयोग कर उत्पादन, निर्माण में उत्कृष्टता के साथ आगे बढऩा परंतु मुफ्त की योजनाएँ देश के क्रियाशील समाज को निकम्मा बना रही है ।
यहाँ यह बता दें कि हमारे यहाँ जनसंख्या बड़ी समस्या नहीं है हमारी समस्या है एक बड़े वर्ग और विशेषकर मेहनतकश समाज को निकम्मा बनाने की प्रवृत्ति चीन जनसंख्या के मामले में भारत से आगे है परंतु वहाँ हर व्यक्ति को काम उपलब्ध कराने की प्राथमिकता होती है सरकार भी इस बात की चिंता करती है परंतु हमारे यहाँ काम करते हुये व्यक्ति को मुफ्त की योजनाओं के मकडज़ाल में फंसाकर उसके साथ से काम छीना जा रहा है सरकारें उन्हें काम दिलाने में सक्षम नहीं है । इन मुफ्त की योजनाओं के कारण देश में मजदूरी बहुत मंहगी हो गयी है मजदूरों की श्रमशक्ति घट चुकी है और इसके दुष्परिणाम है कि भारत के व्यापार पर बड़ा कब्जा चाईना का है और भारत के व्यापार की निर्भरता भी एक समय इसी पर हो गयी थी आज भी बिना चाईना की सामग्री के बाजार नहीं सज सकते हमारी जरूरतों की सामग्री चाईना के व्यापारी पूरी कर रहे है जबकि इससे बेहतर सामग्री और गुणवत्त्ता भारत दे सकता है । अनेक सामग्री के लिये कच्चा माल भी हमारे यहाँ से ही जाता है । चीन को कपास भारत से निर्यात होता है और वहाँ से बनकर आने वाले कपड़े सस्ते होते है जबकि हमारे यहाँ कि कपड़ा मिले मंदी की मार झेल रही है । सूरत अहमदाबाद में कपड़ा मिल मालिक मंदी के दौर से गुजर रहे है । इसके पीछे जो मुख्य कारण वह है हमारे यहाँ उस श्रमशक्ति का दोहन पर्याप्त नहीं हो रहा है ।
भारत में पर्याप्त श्रम न करने के कारण बीमारियाँ तेजी से बढ़ रही है । फिर डाक्टर की सलाह पर कोई पाँच किलोमीटर पैदल चल रहा है तो कोई साईकिल चला रहा है कोई जिम ज्वाईन कर हा है परंतु मेहनत जिन कार्यो के लिये कर बीमारियों से बचा जा सकता हेै और सार्थक दिशा में मेहनता का परिणाम होना है वह हमारे यहाँ नहीं हो रहा है ।
जनता से निर्वाचित होने के लिये राजनैतिक दल भी मुफ्त में रेबड़ी बाँटने का ऐलान कर रहे है जो देश के भविष्य के लिये उचित नहीं है और निकम्मे समाज का निर्माण कर आर्थिक कमजोर परिवार को धीमा जहर देने का काम किया जा रहा है । सरकारे अनाज मुफ्त दे रही है, बिजली मुफ्त दे रही है, और अब नगद राशि भी मुफ्त देने की घोषणाएँ हो रही है । कर्ज के बोझ से लदे मध्यप्रदेश में फ्री बांटने की योजनाएँ लागू करने की होड़ लगी है । सत्ताधारी दल पहले से ही कल्याणकारी योजनाओं के नाम अनेक मुफ्त की सौंगाते दे रहा है । अब लाड़ली बहना योजना के नाम पर एक हजार की नगद राशि दी जायेगी वहीं कांग्रेस पार्टी के नेता कमलनाथ कांग्रेस की सरकार बनने पर एक हजार पंद्रह सौ रूपये नगद राशि देंगे ।
इस प्रकार की मुफ्त की योजनाओं से बेहतर होता इस मातृ शक्ति की कुशल क्षमताओं का विकास कर उन्हें रोजगार के क्षेत्र में प्रोत्साहित किया जाये । आर्थिक समृद्धि के लिये किसानों को बेहतर सुविधाएँ प्रदान की जाये। अच्छी शिक्षा के लिये बेहतर विद्यालय बनाये जाये। बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएँ प्रदान की जाये। विकास और आर्थिक समृद्धि कभी भी मुफ्त की योजनाओं एवं दीनता के प्रदर्शन से नहीं आ सकती एक स्वाभिमानी देश और प्रदेश के निर्माण के लिये समाज के हर वर्ग की क्षमताओं, उनकी कुशलता का मूल्य उन्हें प्रदान किया जाये मुफ्त की योजनाएँ एक निकम्मे समाज और दीनता का भद्दा चित्रण प्रस्तुत करता है ।
सरकारी धन मुफ्त बांटकर प्रदेश को कर्ज में डूबोने के अतिरिक्त कोई सार्थक परिणाम नहीं मिलेंगे जबकि वहीं इसी राशि से मातृशक्ति को मदद कर उन्हें बेहतर स्वाभिमान पूर्ण जीवन दिया जा सकता है उनकी प्रतिभाओं का उपयोग कर बेहतर रोजगार के अवसर दिये जा सकते है । इन मुफ्त की योजनाओं से तात्कालिक राजनैतिक लाभ तो लिया जा सकता है परंतु इस प्रकार राजनैतिक लाभ प्रदेश की जनता के साथ केवल छलवा और जनता को धीमा जहर देने के समान है । इस प्रकार की योजनाओं से आमजनता पर टेक्स का भार बढ़ रहा है मंहगाई आसमान छू रही है । राजनैतिक दलों की राजनैतिक लाभ के लिये इस प्रकार की योजनाएँ आम जनता के लिये किसी तरह से हितकारी नहीं है इससे जो नुकसान होने वाला है उसे पीढियाँ भोगेंगी, सत्ता सुरक्षा के लिये होना चाहिये प्रदेश को बेचने के लिये नहीं ।