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आदिपुरूष फिल्म में सनातन संस्कृति का उपहास उड़ाया गया: विरोध होना चाहिये

सिवनी यशो:- आदिपुरूषÓ कितना सुंदर शब्द है, लेकिन इस फिल्म के पात्रों के द्वारा बोले गये डायलॉग से हमारी सनातन संस्कृति का उपहास उड़ाया गया है, जिसका विरोध होना चाहिये। आज हिन्दू संगठन और हिन्दू धर्माचार्य मौन क्यों बैठे हुये हैं? क्या हिन्दू संगठन राजनैतिक संगठन के कहने पर ही विरोध और समर्थन करते हैं? यह बात आज व्यासपीठ से कथा को विश्राम देने के बाद आचार्य महामण्डलेश्वर स्वामी प्रज्ञानानंद सरस्वती जी महाराज ने कही है।
आपने कहा कि, सनातन संस्कृति का कोई मजाक बनाये यह बर्दास्त नहीं किया जाना चाहिये। हम सभी धर्मों का सम्मान करते हैं लेकिन कोई हमारे धर्म का उपहास उड़ाये तो यह सहनीय नहीं है। आपने कहा कि फिल्म का नाम तो बड़ा सुंदर रखा गया है, लेकिन उसमें पात्रों का जो चित्रण और संवाद है वह हमारे धर्म का उपहास उड़ाने वाला है। आज हम इस फिल्म के माध्यम से बच्चों को क्या सिखायेंगे कि हमारे देवी देवता ऐसे थे? एक वो रामानंद सागर थे, जिन्होंने रामायण बनाई और आज भी हम उन संवादों को यादकर और पात्रों के चित्रण को अपने मन मस्तिष्क में लाने पर प्रफुल्लित हो उठते हैं।
स्वामी जी ने कहा कि, सरकार हिन्दुवादी होने की बात करती हैं, लेकिन सनातन संस्कृति के साथ हो रहे मजाक पर वह भी चुप बैठी है। यह सरकार का भी दोहरा मापदंड है। कोई अपना यदि ऐसी गलती करेगा तो क्या वह चुप बैठे रहेगी? आज यदि हम दोहरा मापदंड अपनायेंगे तो यही सनातन संस्कृति के नष्ट होने का कारण बनेगा। आपने सीधे-सीधे आरोप लगाया कि, समाज को बांटने का काम चलचित्र के माध्यम से हो रहा है। ये यदि दिखायेंगे तो ब्राम्हण को उपहास का कारण बनायेंगे, वैश्य को शोषक बतायेंगे और गुंडे बदमाश किसी क्षत्रीय को दिखायेंगे। यह समाज और संस्कृति के लिये ठीक नहीं है।
स्वामी प्रज्ञानानंद जी ने कहा कि, उदयपुर में एक घटना कर दी गई और मुस्लिम आतंकवाद के चलते वहां की सारी दुकानें बंद हो गई। कैसा दुर्भाग्य है कि जिसने हिन्दू विरोधी डायलॉग लिखे सरकार उनको उपकृत कर रही है। हमें शिकायत है सरकार से भी। आपने कहा कि हिन्दू देवी-देवताओं का उपहास तो उड़ा लिया जाता है, लेकिन अन्य धर्म का उपहास उड़ाने की हिम्मत इनमें नहीं होती।
आपने सभी उपस्थितजनों को व्यासपीठ से आशीर्वाद दिया। आपने आयोजक अधिवक्ता बेनीशंकर शर्मा को साधुवाद दिया कि उन्होंने इस कथा के द्वारा अपनी माँ का मंगलमय तो किया ही है, अपने पिता, अपने कुटुम्बजन और क्षेत्रवासियों को भी इस कथा का लाभ प्रदान कराया। आपने जानकी वल्लभ मिश्र के बारे में कहा कि, आप गीता का प्रचार प्रसार कर रहे हैं और ब्राम्हण पुरोहितों को तैयार करने का प्रशंसनीय कार्य कर रहे हैं।

Dainikyashonnati

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